ये बेतरतीब सिलवटें, वो बेहिसाब हसरतें,
दिल की किताब में हैं, अनगिनत इबारतें।
हर मोड़ पर बिखरी हैं, यादों की परछाइयाँ,
बीते हुए लम्हों की हैं, जर्जर हुई इमारतें।
रातों की तनहाइयों में, ख्वाबों के मेरे जुगनू,
खुद जल के भी करते हैं , तेरी ही इबादतें।
कई रात ख़्वाबों में मिला हूँ मैं तुझसे,
मुस्कान की ओट में, छुपी हैं मेरी शिकायतें।
नींद में जल उठते हैं अब भी उम्मीदों के दिये ,
पर दिल के वीराने में, हैं बुझ रही अब सूरतें।