अपने आप से जैसे खफा नज़र आते हो

अजनबी शहर में अपने ही साए से डरे
अपने आप से जैसे खफा नज़र आते हो।

खुद से बातें करते, खुद में ही खोए से
आईने में अक्सर गुम-सुम नज़र आते हो।

चांदनी रात में, सितारों की तलाश में
ख्वाबों के जहां में बहके नज़र आते हो।

गुजरे वक़्त की यादों में खोए से
बीते लम्हों में फिरते नज़र आते हो।

दिल में छुपी बातें, आंखों में नमी लिए
खुशियों के बीच भी उदास नज़र आते हो।

अपने ही ख्यालों के जंगल में भटके से
हर राह में खुद को तलाशते नज़र आते हो।


तारीख: 26.02.2024                                    मुसाफ़िर









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