गजल मुझसे मेरी

गजल मुझसे मेरी कलम मांगती है
शायरी मेरी सब रंज़ोगम माँगती है ।
तुम कह रहे हो  भूल जाऊँ मैं तुम्हें
तन्हाई तेरी यादें ,ए सनम मांगती है ।
सफर में तो हूँ मंजिल मिले ना मिले
राहें  मेरी  मुझ से  कदम  मांगती है ।
संवर तो जाएं  शामे   मेरी भी  यारों
वक्त उनसे ज़रा नजरें करम मांगती है ।
खुश रहना चाहता हूँ गर मै जीवन में
जिंदगी जीने का कोई भरम मांगती हैं ।


तारीख: 07.02.2024                                    अजय प्रसाद









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