बहुत डराते हो हमें अपने तख्तों - ताज से

shayari gazal

बहुत डराते हो हमें अपने तख्तों - ताज से
सामने आओ तो तुम्हें आँखें तरेर के देखेंगे

कितना माद्दा है और कितनी कूबत है तुम में
किसी भीड़ में नहीं , अकेले ही घेर  के देखेंगे

बहुत गुमान है कि तुम्हें कि  हमें भुला दिया
कैसे नहीं धड़कता दिल तुम्हें छेड़ के देखेंगे

कब तलक लहरें मिटा पाती हैं निशान  हमारे
हम समंदर की छाती पे नाम उकेड़ के देखेंगे

किस्मत कितनी होशियार है,उसे पता चलेगा
जिस दिन हम मेहनत  के पत्ते फेर के देखेंगे  

जितनी भी गलतफहमियाँ हैं  ,सब मिट जाएँगी
फिर नफरत के काँटें नहीं,फूल गुलेर के देखेंगे


तारीख: 02.01.2024                                    सलिल सरोज









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