गर नाव है मँझधार में

gazal shayari

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गर नाव है मँझधार में।
हम क्या करेंगे प्यार में।।

है दोस्ती हम भूलते -
जब खोट पाई यार में।

जब-जब कलम का काम हो-
तब क्या रखा तलवार में।

ये फूल तो बस फूल हैं-
चुभना रहा है खार में।

बस ख्वाब में आते रहे -
दिल टूटता दीदार में।

मिलता दगा है क्या करूँ-
बहरूपिया संसार में।


तारीख: 14.02.2024                                    अविनाश ब्यौहार









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