हमारी बस्ती में दिखी एक दिन

ghazal shayari akib javed

हमारी बस्ती में दिखी एक दिन
गरीबी से ज्यादा बेवसी एक दिन।

हवाएं चल रही हैं किस जानिब
कहेगी शमां की रोशनी एक दिन।

एक डर समाया है दिल में हमारे
मौत होगी बुरी या भली एक दिन।

दर्द की कराह है जो मेरे चेहरे पर
दुनियां ग़म जानेगी सभी एक दिन।

सच्ची मोहब्बत चेहरे पे दिखती है
बनावटी चेहरे होंगे दुखी एक दिन।

खुद को,खुल्क वली समझता रहा है
ख़ुदाए पाक को मानेंगे सभी एक दिन।

ज़िन्दगी में मेरे फाका भी रहा है यारों
हमें भी ख़ुदा करेगा सुखी एक दिन।

कस्ती भँवर में फंसी हैं अजीब बात है
फरिस्ता आके सँवारेगा जिंदगी एक दिन।

खुशनसीब होते हैं वो लोग आकिब'
जिन्हें मिलती है लाफ़ानी खुशी एक दिन


तारीख: 04.01.2024                                    आकिब जावेद









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