वक़्त का जाने कैसा कहर है
मौत की ज़द में अब हर सफ़र है
ज़ीस्त का जाम पीना पड़ेगा
अब ये अमृत है चाहे ज़हर है
भीड़ में भी यहाँ हूँ अकेला
या खुदा कौन सा यह शहर है
दर्द का कौन सा है यह मरकज़
हर दुआ हर दवा बेअसर है
दर्द लाओ न लब पर पवन तुम
अब परेशान खुद चारागर है