ज़ुल्म कितना तू ज़ालिम करेगा

ज़ुल्म कितना तू ज़ालिम करेगा यहाँ। 
तख़्त से  एक  दिन  तो  हटेगा यहाँ।।

जितने आए  सिकंदर  चले  सब गए।
कब  हमेशा  रहा   जो   रहेगा  यहाँ।।

आग नफ़रत की मिलके बुझायेंगे हम।
भाई  भाई  गले  फिर  मिलेगा  यहाँ।।

बाद पतझड़  के  आती   बहारें सदा।
फिर से गुलशन हमारा खिलेगा यहाँ।।

काम ऐसा करो  की  ख़ुदा  ख़ुश रहे।
लेके जाएगा  क्या  जब  मरेगा यहाँ।।

ताज़  तेरा   रहा    है   न   मेरा  रहा।
वक़्त के साथ हर  दम  फिरेगा यहाँ।।

संविधान आज है तो निज़ाम आज है।
जो भी  छेड़ेगा  इसको  मिटेगा  यहाँ।।
 


तारीख: 13.03.2024                                    निज़ाम- फतेहपुरी









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