कश्तियों के समुंदर

कश्तियों के समुंदर मे उतर जाने के बाद
काफिला पलटता नही गुजर जाने के बाद

अपने गुनाहों की तौबा कर चुका हूँ अब
मुश्किल है बिगड़ना सुधर जाने के बाद

जीते जी की बात कर,बाकी तो खुदा जाने
कौन कब कहाँ मिलेगा मर जाने के बाद

सच तो ये है परों से ही परवाज़ है उसकी 
परिंदा आ गिरेगा पर कतर जाने के बाद

इधर वालो इधर ही ठहरे रहो तो अच्छा है
वापस नही लौटा कोई उधर जाने के बाद


तारीख: 05.02.2024                                    मारूफ आलम









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