नदी की लहर

हमीं हैं यहाँ पर शिकारे लिए।
जवानी नहीं है हमारे लिए।।

उन्होंने पढ़ा है नदी की लहर,
समंदर कहाँ आज खारे लिए।

कहानी बनेगी उसी शख्स की,
खिजाँ में भँवर से किनारे लिए।

धरा की जरूरत यही है अगर,
तभी तो जवाँ चाँद तारे लिए।

जमीं आज इंसान की है यदि,
शिखर यार मैने कि न्यारे लिए।


तारीख: 28.02.2024                                    अविनाश ब्यौहार




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