पास बैठे

पास बैठे ख़ैरियत अब कौन पूछे
पागलों की कैफ़ियत अब कौन पूछे

चुन लिए हैं अपने अपने सच सभी ने
क्या सही है क्या ग़लत अब कौन पूछे

बज़्म में सब सर झुका कर के खड़े हैं
साहिबों की तर्बियत अब कौन पूछे

कौन अब अहवाल पूछे धड़कनों का
और ख़ैर-ओ-आफ़ियत अब कौन पूछे

इक नज़र भी देखता मुझ को नहीं जो
उस से मेरी अहमियत अब कौन पूछे


तारीख: 22.02.2024                                    डॉ सतीश सत्यार्थ









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