कितना प्यारा बहार का दिन था ।
उन दिनों जैसे प्यार का दिन था ।।
"हम उसी दिन मिले थे पहली बार
और वो सोमवार का दिन था ।।"
तब नही कोई ख्वाब था फिर भी
मानों जैसे करार का दिन था ।।
ख़्वाब पहला कोई नशा पहला ,
और पहली फुहार का दिन था ।।
कुछ भी मन में नही था फिर भी ,
जैसे वो ऐतबार का दिन था ।।
जाने क्या बात थी किसी जैसे ,
सदियों के इन्तजार का दिन था ।।
तुम भुला सकते ही नही के वो ,
'देव' तुम्हारें यार का दिन था ।।