राजनीति में सब चलता है।
झूठ नहीं बस सच खलता है।।
पश्चिम की क्या बात करें अब,
रवि पूरब में ही ढलता है।
नदियों को पानी मिल जाता,
पर्वत में हिमनद गलता है।
लगता ये खामोश शहर है,
धूं धूं कर जंगल जलता है।
किस पर करें भरोसा भाई,
आदमी शकुनि सा छलता है।