रक्त रंजित रक्त वर्णित रक्त से सनी हुई,
समर भूमि में कूदकर वह सनसनी हुई।
लाल गाल, बिखरे बाल, हस्त धारण किए भाल,
तीक्ष्ण चक्षु, वार भक्षु, जमीन पर ज्यों उतर आया हो काल,
तीव्र हय,न कोई भय, भूमि हो गयी रक्तमय ,
रिपुदमन करना है आज, स्वीकार नहीं उसे पराजय,
वीरांगना है वह, है उसका एक ध्येय,
जीवनपर्यन्त रहूँ अजेय।
नहीं किसी से डरना है ,ना अधीनस्थ रहना है,
शरीर में जब तक प्राणवायु ,नहीं वेदना सहना है,
ज्यों शिशु कोकिल को चुपके से खा जाता है काक,
त्यों आंग्ल जनरल रहा झाँसी को ताक,
किन्तु झाँसी के आसमां पर क्या तिमिर छाएगा,
जब तक है झाँसी की रानी, कोई क्या आंख दिखायेगा....