इत्तेफ़ाक़न

 

इत्तेफाक का हमारे जीवन में बड़ा महत्व है I हम कहते हैं इत्तेफाक से हमारी लॉटरी लग गई, इत्तेफाक से वह एक्सीडेंट से बच गया। इत्तेफाक अगर हमारे खिलाफ हो तो समझो सब ख़तम और अगर एक दिन इत्तेफाक से, वही इत्तेफाक हमारे पक्ष में आ जाए तो?
 
अमित के जीवन में भी ऐसा ही कुछ हुआ, जिसके विषय में यह कहानी है:
सारा को अमित उन दिनों से जानता था जब वह 16 साल का रहा होगा। वे दोनों मुंबई की एक पौश कॉलोनी में रहते थे . पास में एक सुंदर पार्क था जहा सुबह-सुबह लोग घूमने और जोगिंग करने जाते थे । अमित की जब कभी सुबह नींद खुल जाती तो वह भी चला जाता । वही एक दिन उसने सारा को देखा: दो बॉडीगार्ड के साथ में जोगिंग करती उस हमउम्र सी गोरी चिट्टी, सूंदर लड़की को वह देखता रह गया। इसके बाद तो वो रोज पार्क आने जाने  लगा ! माता पिता हर्षित भी थे और हैरान भी, कैसे ये रात का चमकादड़ सुबह इतनी जल्दी उठने लगा। लेकिन अमित को अलग धुन थी । कभी जब सारा नहीं आती तो वह काफी समय उसका इंतजार करता ! उसका धधकता दिल हर पल यही सोचता "अब आ जाए काश तो दिन बन जाए " अक्सर वह आती थी, और अमित बस उसे देखता रहता था। यह उम्र ही ऐसी होती है, जब एक लड़का आकर्षण के मायने समझता है, उस अति तीव्र भावना को महसूस करता है जो लहू के साथ उसके रगों में दौड़ती है । और उसे नाम देता है प्यार ।
यूं तो अमित कोएड में पड़ता था और लड़कियों से बेहिचक बात कर सकता था, लेकिन सारा को देखते ही उसकी हिम्मत चली जाती । उसके साथ घूम रहे बॉडीगार्ड के डर से भी वह कभी उससे बात नहीं कर पाया।  ऐसे ही समय बीतता रहा । फिर अचानक एक दिन ज़मीन से 3000 फ़ीट ऊपर कुछ ऐसा हुआ जिससे अमित का जीवन उथल पुथल हो गया । प्लेन क्रैश में उसके मम्मी डैडी का देहांत हो गया। वह अकेला रह गया । उनका बहुत बड़ा बिजनेस था जिस को संभालने का उसे कोई तजुर्बा नहीं था। उसके चाचा जायदाद हड़पना चाहते थे और इसमें कोई शंका नहीं थी की वो अपना लक्ष्य पाने के लिए अमित को मार भी सकते थे । मामा उससे बहुत प्यार करते थे, उन्होंने अमित का जीवन बचाया और पढ़ाई के लिए लंदन भेज दिया। अमित 5 साल बाद लंदन से वापस आया और मामा के साथ बिजनेस की बारीकियां समझने लगा। वह सारा को लगभग भूल सा गया था। अब तो उसका एकमात्र उद्देश्य बिजनेस को उन ऊंचाइयों तक ले जाना था जहां उसके पिता भी ना ले जा सके।

उस दिन बिजनेस के सिलसिले मे ही अमित सिंगापुर से वापस मुंबई आ रहा था । प्लेन में काफी रश होने के कारण उसे इकनौमी क्लास में सफर करना पड़ा । तभी उसने देखा सारा उसकी तरफ ही आ रही है और उसके पास की सीट पर आकर बैठने लगी । साराऔर भी सुंदर लगने लगी थी । यह इत्तेफाक ही था । उसने कभी सोचा भी नहीं था की सारा की इस तरह से उसके जीवन में दोबारा एंट्री होगी । सारा के चेहरे पर एक अजीब सी उदासी थी । उसने सारा से पूछा क्या आप विंडो सीट पर बैठना चाहेंगी, लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया और अपनी सीट पर बैठ गई। सारा शायद अमित को पहचानी ही नहीं थी  । अमित सारा से बात करना चाहता था पर समझ नहीं आ रहा था कि कौन सा विषय चुने ,अनेकों ख्याल अमित के दिल में आए । अंत में उसने हिम्मत करके कहा - "मैं आप ही की कालोनी में रहता हूं ।क्या आप मुझे पहचानती हैं ,लेकिन उसने इसका भी कोई उत्तर नहीं दिया । चुपचाप गुमसुम सी बैठी रही। चाह कर भी अमित उससे कोई बात नहीं कर सका। मुंबई आने के बाद अमित ने उससे कहा अगर आपके पास कोई ट्रांसपोर्ट नहीं है तो मैं आपको घर ड्रॉप कर दूंगा, लेकिन उसने अनसुना करते हुए "नो थैंक्स" कहा और कैब ले कर चली गई  । अमित उसकी इस बेरुखी का मतलब नहीं समझ पाया। 
“सच में, बाहर से सूंदर दिखने वाले लोग अंदर से कितने ख़राब होते हैं " उसने सोचा
 
अमित ने एक नया प्रोजेक्ट शुरू किया था, जिसके लिए एक पार्टी ऑर्गेनाइज की थी  ! अमित सारा और उसकी फैमिली को इनवाइट करने उनके घर गया । गेट  उसकी मम्मी ने खोला, जो शायद अमित को पहचान गई थी ,बोली आओ बेटा बैठो यहां , और सारा से कहा एक ग्लास पानी ले आओ । सारा की मम्मी बिल्कुल देवी जैसी लग रही थी उनके चेहरेपर बहुत अधिक तेज था।
उन्होंने अमित से पूछा “कैसे आए हो बेटा ,तुम कपूर साहब के बेटे होना , अमित ने हां में सिर हिलाया वह कहने लगी तुम्हारी मम्मी को मैं अक्सर किटी पार्टी या लेडीज फंक्शन में मिलती थी, बहुत ही भली लेडी थी । तुम्हारी मम्मी मेरी बेस्ट फ्रेंड थी। तुम लोग के साथ बहुत बुरा हुआ ।“
 
अमित ने बताया “शनिवार को घर पर एक पार्टी रखी है आप लोग आएंगे तो उसे बहुत अच्छा लगेगा ।“ 
थोड़ा हिचकिचके अमित ने यह भी बताया की वह और सारा एक ही फ्लाइट में सिंगापुर से आए थे, लेकिन सारा ने उससे रास्ते में जरा भी बात नहीं की I चुप रही ,पता नहीं क्यों बड़ी सीरियस सी बैठी रही  ।
सारा की मां ने बताया “ बेटा कुछ साल पहले हमारे जीवन में भी एक भूचाल आया । एक सर्द सुबह को सारा के पिता ने ऑफिस की 26वें माले से कूदकर आत्महत्या कर ली । मैं और सारा उस समय घर पे थे I तभी से सारा गमगीन रहती है । बड़ी तेजी से घटनाएं घटी हैं I हम अर्श से फर्श पर आ गए ,देखते ही देखते अरबों का कारोबार खत्म हो गया, थोड़ा बहुत जो बिजनेस बचा है वह सारा के चाचा और पार्टनर देखते हैं, लेकिन हमेशा लॉस ही बताते हैं । अब तो घर भी बड़ी मुश्किल से चलता है, यहां तक कि सारा के मंगेतर विक्रम ने भी उसे छोड़ दिया है । उसी से मिलने सारा सिंगापुर गई थी, मुंहफट विक्रम ने कह दिया कि वह चमन जी लाल टंडन की बेटी से प्यार करता था , एक भीकारन से नहीं ।इसीलिए सारा बहुत गंभीर रहती है I घर पर भी छुप छुप कर रोती है । पता नहीं भगवान ने हमें किस कसूर की सजा दी है। यह मकान भी गिरवी है, अगले महीने इसकी नीलामी होनी है पता नहीं हम लोग क्या करेंगे, कहां जाएंगे कहां रहेंगे।“

बगल वाले कमरे में बैठी सारा अपनी माँ की बातें सुन रही थी I उस दिन जो हुआ उसकी अब सिर्फ धुंधली यादे बची हैं । रोने की कान फाड़ने वाली आवाजों के बीच सारा को लगता था की शायद कोई उसे झटका के अभी जगा देगा, शायद उसके पिताजी अभी उस दरवाजे से आ जाएंगे। दिन सालो में बदल गए लेकिन वो यादें सारा को अब भी सोते से जगा देती थी, और 26, इस अंक से उसे डर लगता है I
अमित ने सारा की मां को हिम्मत बंधाते हुए कहा "मां जी मैं तो छोटा हूं लेकिन एक बात मुझे ज़िंदगी ने सिखाई है: अच्छे दिन आते हैं चले जाते हैं, बुरे दिन आते हैं चले जाते हैं, यह तो प्रकृति का नियम हैI देख लीजिएगा जिस भगवान ने आपको यह दुख दिया है वही उसको खुशियों से भर देगा, आप लोगों के जीवन में फिर अच्छे दिन आएंगे पहले जैसे ही आप लोग मुस्कुराएंगे। मुझे ही देखिये। माता पिता के जाने के बाद चाचा ने मुझे मारने की कोशिश भी की थी । पर आज में पिताजी का बिज़नेस नयी उचाईयों पे ले गया हूँ "
"पता नहीं बेटा ,भगवान करे ऐसा ही हो, तुम आते रहा करो ।बड़ी अच्छी बातें करते हो ,तुम्हारी बातों से दिल को बड़ी तसल्ली मिली  ।"
सारा की मां ने अमित को बताया कि सारा तो शायद ही पार्टी में आए, अब तो वह कहीं जाती ही नहीं है, विक्रम की बेवफाई के बाद तो उसे सारी मर्द जात से ही नफरत हो गई है, शादी के लिए कहते हैं तो कहती है शादी का जिक्र मेरे सामने मत करना । मां मुझे शादी हरगिज़ नहीं करनी ।
अमित ने कहा "कोई बात नहीं माजी धीरज रखिए, जल्द ही सब ठीक हो जाएगा वैसे यह विक्रम क्या करता है किस चीज का कारोबार है इसका सिंगापुर में।"
मां ने उसे बताया सिंगापुर में उसकी वीनस कारपोरेशन करके एक कंपनी है ।
अमित ने याद करते हुए कहा :"वीनस कॉरपोरेशन! तब तो मैं विक्रम को जानता हूं ,मैं उससे बात करूंगा।"

पार्टी में आ रहे बहुत सारे गेस्ट्स के बीच अमित को सारा का इंतजार था । काफी इंतजार के बाद उसने देखा सारा अपनी मां के साथ आ रही है । सारा ने कोई मेकअप नहीं कर रखा था फिर भी वह येलो ड्रेस में वह बहुत सुंदर लग रही थी। पार्टी में सारा से बात करने का अमित ने कई बार प्रयास किया लेकिन वह बस हां या ना मैं उत्तर देती रही  !सारा की मां यह सब बड़ी बारीकी से देख रही थी ।बेटी की मां थी इसलिए शायद उनके दिमाग में कुछ चल रहा था ,उन्होंने कहा तुम दोनों बैठो बातें करो मैं जरा मिसेज शर्मा और मिसेज गुप्ता से बात करके आती हूं ।
 सारा से अमित ने पूछा "पार्टी कैसी लग रही है ?" सारा ने कहा "ठीक है ।"
अमित ने वेटर की तरफ इशारा करते हुए कहा क्या लेंगी आप ।
सारा ने कहा -- कुछ नहीं।
“कुछ नहीं डिश तो यहां नहीं मिलेगी ,मैं आपके लिए कॉफी और पनीर कटलेट मंगवाता हूं” ---अमित ने मुस्कुराते हुए कहा।
"जी नहीं कुछ लाने की आवश्यकता नहीं है I मुझे जो भी लेना होगा मैं स्वयं ले लूंगी, आप गेस्ट्स को अटेंड कीजिए" -- सारा का लहजा थोड़ा सख्त था।
“अरे सारा जी आप पार्टी इंजॉय नहीं कर रही क्यों ऐसे गुमसुम बैठी है I मुझे पता है आप मुस्कुराते हुए बड़ी अच्छी लगेंगी।“
सारा बुरा मान कर जाने लगी और बोली ,"मुझे चिपकू लोग बिल्कुल पसंद नहीं है"।


पार्टी खत्म होने के बाद अमित सारा और उसकी मम्मी को घर तक छोड़ने गया I रास्ते में उसने सारा की मम्मी से कहा सारा ने पार्टी में कुछ नहीं खाया है।
 सारा ने थोड़ा बिगड़े मूड में कहा --- आपको मेरी चिंता करने की बिल्कुल आवश्यकता नहीं है और मुझसे ज्यादा चिपकने की जरूरत नहीं है ,मैं आपको बिल्कुल पसंद नहीं करती ।प्लेन में मेरी सीट आपके पास क्या पड़ी आप तो तब से मेरे पीछे ही पड़े हुए हैं।
माजी थोड़ा आगे चली गई थी अमित ने वातावरण को हल्का करने के लिए सारा से कहा --- सारा जी मैं फेविकोल थोड़ी हूं जो आपसे चिपक जाऊंगा, और रही मेलजोल की बात तो मैं आपको पिछले 6 सालों से जानता हूं तब से जब आप इस पार्क में अपने बॉडीगार्ड्स के साथ जोगिंग और घूमने आया करती थी । मैं पार्क में आपका बेसब्री से इंतजार करता था । अगर मैं यह कहूं की आप मेरा पहला और आखरी कृष है तो यह गलत नहीं है, मैं तो सिर्फ आप लोगों के जीवन में पहले सी खुशियां लाना चाहता हूं और कुछ भी नहीं।
“अच्छा तो आप पुराने आशिक हैं, ऐसी बातों से मुझे बड़ी चिढ़ है ।आप हमारे बारे में मत सोचिए हमें हमारे हाल पर छोड़ दीजिए तो आपकी मेहरबानी होगी” - - - सारा ने बुरा मानते हुए कहा।

 
ऐसे ही समय बीतता गया अमित ने कई बार सारा से बात करने उसके निकट आने का प्रयास किया लेकिन  विफल रहा, धीरे धीरे घर की  नीलामी का समय भी आ गया। नीलामी से 2 दिन पहले सारा की मां अमित के घर गई । अमित ने उन्हें आदर के साथ बिठाया और कहा, अरे माजी, आप क्यों आई मुझे बुला लिया होता।
मां जी ने कहा “बेटा परसों का सोच के दिल घबरा रहा था, सब ठीक हो जाएगा ना?“
अमित ने हिम्मत बंधाते हुए कहा “मां जी आप बिल्कुल चिंता ना करें, मैंने सारा इंतजाम कर दिया है ,वह दोनों अब जेल में है । नीलामी में आखरी बोली हमारी ही होगी आप घर जाकर बिल्कुल आराम से सोए।“
मां ने कहा - - - बेटा जो तुमने हमारे लिए किया है वह भगवान भी नहीं कर सकता ।शब्द नहीं है मेरे पास, बस इतना कह सकती हूं कि मेरी उम्र भी तुम्हें लग जाए ।तुम जीवन में बहुत सुखी रहो, बस तुम्हारे प्रति सारा के व्यवहार से मुझे बहुत दुख होता है।
"मां जी सारा बहुत अच्छी और समझदार लड़की है" ---अमित ने कहा।
"बेटा, मेरी आखरी चिंता और मिटा दो, सारा की जिम्मेदारी भी तुम ले लो, तुम्हारी मां और मैंने बरसों पहले यह सपना देखा था, फिर अचानक दोनों परिवारों में यह हादसे हो गए।"
अमित ने तसल्ली देते हुए कहा," भगवान ने चाहा तो ऐसा ही होगा मां जी, मैं तो आप में अपनी मां को ही देखता हूं, अब चलिए मैं आपको घर छोड़ आता हूं।

नीलामी के रोज टंडन साहब के घर बहुत बड़ा मजमा लग गया था । सरकारी अमला भी आ गया था । बोलियां लगने लगी, घर बड़ा ही शानदार था , लोग एक से बढ़कर एक बोलियां बोल रहे थे । मिसेज टंडन और सारा के चेहरे पर चिंता और व्यग्रता स्पष्ट दिखाई दे रही थी ।
नीलामी में अंतिम बोली अमित ने ही बोली और नीलामी उनके पक्ष में हुई , अमित ने सारे कागजात माजी को दे दिए और कहा लीजिए माजी यह घर पुनः आपका हो गया । सारा उठ कर चली गई ,शायद उसे यह सब अच्छा नहीं लगा । माजी बहुत देर तक उसे आशीर्वाद देती रही ।
अमित उनसे विदा लेकर जाने लगा तो गेट पर सारा ने उसका रास्ता रोक लिया और तल्ख लहजे में ताली बजाते हुए कहा "वाह जनाब वाह ! कहां जा रहे हैं अब तो आपने हमें खरीद ही लिया ।पहले हम सांवरिया सेठ के कर्ज़ दार थे अब आपके हो गए, कितनी मोहलत देंगे आप हमें इस घर में रहने की।"
“कैसी बातें कर रही हो सारा! यह घर तुम्हारा था ,तुम्हारा है, और तुम्हारा ही रहेगा। मैंने नीलामी में एक पैसा भी नहीं लगाया है मुझे गलत समझना छोड़ो”-- अमित ने कहा।
"कैसे ना सोचे मिस्टर I आपके एक एक एहसान ने मुझे गहरे जख्म दिए हैं ,अब बस और नहीं हमें हमारे हाल पर छोड़ दीजिए, और आज के बाद कभी हमें अपनी सूरत नहीं दिखाइएगा I आपकी बहुत मेहरबानी होगी। आपका चेहरा हरदम मुझे हमारी बर्बादी, हमारी बेबसी की याद दिलाता है"
"अब ज्यादा ही हो रहा है सारा , हद होती है हर बात की ।ठीक है मैं भी आज के बाद तुम्हें अपनी शक्ल दिखाने कभी नहीं आऊंगा" ---अमित ने थोड़ा गुस्से में कहा और वहां से चला गया
 
इस सब का जब माजी को पता चला तो उन्हें बहुत गुस्सा आया ।उन्होंने सारा को बुलाया और कहा ," हद होती है सारा तुम्हें अच्छे बुरे की पहचान ही नहीं है ।जिसने हमारे लिए इतना कुछ किया तुम हमेशा उसे बुरा भला कहती रही । अमित क्या है मैं बताती हूं  अमित ने तुम्हें बताने के लिए मना किया था पर आज मैं  तुम्हें सब कुछ बताती हूं । तुम्हारे पापा ने आत्महत्या नहीं की थी, तुम्हारे चाचा और पार्टनर ने मिलकर उनकी हत्या की थी ,यह सब अमित ने ही अपने प्राइवेट जासूसों को लगाकर पता लगाया और आज उसी के प्रयासों से तुम्हारे चाचा और पार्टनर जेल में है। अमित ने सही दामों पर तुम्हारे पापा का ऑफिस बिकवा दिया और उसी के पैसों से नीलामी में  यह घर हमारा हुआ है। उसने हमारी राह के सारे कांटे हटा दिए, तुम्हारे लिए पलके बिछाए रहा लेकिन तुम तो हमेशा उसे गलत ही समझती रही । हर आदमी विक्रम नहीं होता, विक्रम जैसे मौकों का फायदा उठाने वाले करोड़ों होते हैं लेकिन अमित जैसा एक ही होता है ।"
मूर्ति बनी बैठी थी सारा ।उसे लग रहा था कि वह कोई दुस्वप्न देख रही है ,उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे .
वह अपने किए पर बड़ा शर्मिंदा थी, सोचती रही " यह मैंने क्या किया ,खुद ही अपनी दुश्मन बन बैठी ,बहुत बुरा भला कहा है मैंने अमित को I वह शायद अब मुझे कभी माफ नहीं करेगा ।मुझे अभी अमित से माफी मांगनी होगी"
" चलो मां अकेले मुझ में उसका सामना करने की हिम्मत नहीं है।" सारा ने माँ से कहा
तभी दरवाजे पर घंटी बजी तो सारा ने सोचा अमित आया है I उसने दौड़ कर गेट खोला, लेकिन वह सामने खड़े सज्जन को देखकर स्तब्ध रह गई ,सामने और कोई नई विक्रम था उसे देखते ही सारा गुस्से से तमतमा गई ,"क्यों आए हो यहां"।
विक्रम ने हाथ जोड़ते हुए कहा “मुझसे गलती हो गई सारा, मुझे माफ कर दो।"
“कोई माफी नहीं, चले जाओ यहां से ।मैं तुम्हारी सूरत भी नहीं देखना चाहती” ---सारा ने लगभग चीखते हुए कहा।
विक्रम की आंखो में आँसूं  थे  "प्लीज सारा एक बार माफ कर दो ,मुझे अंदर आने दो । मैं बेहद शर्मिंदा हूं।"
"प्लीज माजी, मैं बहुत शर्मिंदा हूं ।मुझे माफ कर दीजिए नहीं तो मैं बर्बाद हो जाऊंगा"  विक्रम ने लगभग रोते हुए सारा की माँ से गुहार की
इंसानियत के नाते सारा की माँ ने विक्रम को अंदर बुलाया और पानी दिया ।
"प्लीज सारा वापस आ जाओ। तुम्हारे बिना सब अधूरा है "
कुछ देर बाद सारा का गुस्सा थोड़ा शांत हुआ । "मुझे सोचने का समय दो" उसने विक्रम से कहा ।
विक्रम की बेचैनी से उसे लगा की शायद सच में उसे अहसास हुआ है । लेकिन सारा की माँ को कुछ अटपटा सा लगा
 इतनी तेजी से घटना चक्र चला कि रात भर सारा सो नहीं पाई I सुबह उठते ही उसने अमित को बहुत फोन लगाएं पर नो रिप्लाई आया। सारा तैयार होकर तेजी से अमित से मिलने चल दी लेकिन गेट पर सुरक्षाकर्मियों ने बताया साहब तो रात ही कुछ महीनो के फॉरेन टूर पर निकल गए I कुछ दिनों में आएंगे। विदेश में भारत के सिम इस्तेमाल नहीं करते, तो आने के बाद ही आप उनसे बात कर पाएंगी I
 
----------------------------------------------------------- भाग २ -----------------------------------------------------

इस बात को कई दिन बीत गए लेकिन ना अमित आया नहीं उसका फोन सारा । विक्रम का फ़ोन लगभग रोज अत था । सारा अब भी उसे माफ़ नहीं कर पाई थी । उसकी बातों में कही सारा को बनावट सी लगती थी I मन में कही वो अमित को भुला नहीं पायी थी । ये क्या भावना थी जो वो अमित के लिए महसूस करती थी । ऐसा उसे कभी विक्रम के लिए नहीं लगा. अमित को खोकर सारा ने प्यार क्या है ये जाना I बेटी की सूनी आँखो को उसकी मा पढ़ चुकी थी. और एक दिन जिसका इंतजार था वो आ ही गया.

गेट बेल बजी ।सारा ने दरवाजा खोला तो देखा अमित खड़ा था, सारा के चेहरे पर अनेकों भाव आए और चले गए, सारा को सूझ ही नहीं रहा था की वह क्या कहे या करें जैसे तैसे उसने कहा “अंदर आइए ना।“
“नहीं मैं यही ठीक हूं ,आपको तकलीफ देने नहीं आया। माजी को बुला दीजिए उनसे थोड़ा काम है” ---अमित ने धीमे स्वर में कहा।
कुछ पल की हिचक के बाद सारा बोली "मेरी नादानी की मुझे इतनी बड़ी सजा मत दीजिए ।मैं आपके साथ किए गए व्यवहार के लिए बेहद शर्मिंदा हूं, मैं आपको पहचान ही नहीं पाई मुझे माफ कर दीजिए ।प्लीज अंदर आ जाइए आपको मेरी कसम है , जिसने मेरे पापा के कातिलों को जेल पहुंचाया, हमें बे घर बार होने से बचाया, कदम कदम पर हमारी सहायता की उसे कैसे मैंने गलत समझ लिया । अब और सजा मत दीजिए - - - - - सारा ने लगभग रोते हुए कहा।
एक शर्त पर आता हूं आप रोना बंद कीजिए I आप रोते हुए बिल्कुल अच्छी नहीं लगती ,और ना ही आपने कोई गलती की है फिर माफी किस बात की I आप तो वैसे ही गुस्सा होते हुए और डांटते हुए अच्छी लगती है ,मैंने तो आपकी किसी बात का कभी कोई बुरा नहीं माना-- अमित ने बनावटी हंसी हंसते हुए कहा।
"विक्रम से धोखा खाने के बाद मैं हर आदमी को गलत समझने लगी, कुछ दिन पहले उसने आके माफ़ी मांगी थी । खैर आप बैठिये, मैं माँ को बुलाती हूँ "
विक्रम का नाम सुनकर अमित के चेहरे पे एक दर्द सा उभरा । सारा शायद इसका मतलब समझती थी

"माँ आप लोगों ने कब सारा की शादी तय की है, या हो चुकी।" अमित ने सारा की माँ से पूछा
"सारा जरा तू अंदर जा" सारा की माँ ने कहा ।
 
"बेटा विक्रम ने माफ़ी मांगी और शायद सारा ने उसे माफ़ भी कर दिया, पर मुझे लगता नहीं वो शर्मिंदा है। उस दिन कुछ तो था जो वो हमें नहीं बता रहा था । तुम कह रहे थे की तुम उसे जानते हो । सच बताओ बेटा, क्या कुछ ऐसा है जो तुम हमे नहीं बता रहे हो । मेरी बेटी की ज़िंदगी का सवाल है I "
थोड़ी हिचक के बाद अमित बोला " माजी, विक्रम का सारा आर्डर मेरी इंडस्ट्री से ही मिलता है, जो मैंने उसे भेजना बंद कर दिया था ।और कहा है जब तक सारा नहीं कहेगी मैं उसे ₹1 का सामान भी नहीं भेजूंगा । इसलिए भी वो शायद इतना बेबस था । अब अगर आपको लगता है की वो सच में बदल गया है, वो मैं वापस उससे बिज़नेस रिलेशन बनाऊंगा "
कुछ देर बाद लम्बी सांस लेते हुए सारा की माँ बोली " बेटा आज तुमने मेरी ये दुविधा भी दूर करदी । हमेशा सोचती थी, ये धूर्त लड़का १८० डिग्री से कैसे परिवर्तित हो गया। अब समझ आया । सारा की माँ हूँ, उसके बिना कुछ बोले ही समझ लेती हूँ वो क्या चाहती है । वो सच्चे दिल से सिर्फ तुम्हे ही चाहती है  पिछले कई दिनों से उसकी आँखों में छुपा हुआ दर्द, आज तुम्हे देखके छलका है । अब बस मैं तुम दोनों को एक होते देखना चाहती हूँ"
कुछ पल अमित शांत रहा. कुछ कहने की हिम्मत शायद बटोर रहा था. उसकी आँखो से बेबसी और दुख पानी के साथ बह रहे थे. "माजी एक और बात है I सारा से निराश होकर जब मैं विदेश गया तो वहां मामा जी ने अपने एन आर आई दोस्त की लड़की से मेरी शादी तय कर दी थी. परसों मेरी मंगनी है और मैं आप लोगों को उसी के लिए इनवाइट करने आया था." इससे ज़्यादा कुछ कह पाता उससे पहले उसका गला रुंध गया । "मामाजी ने कितना कुछ किया है मेरे लिए. अब अगर इस शादी से उन्हे खुशी मिलती है तो मैं किस मुँह से मना करू, जब पहले मैने ही हां  किया था." धीरे से अमित बोला. "काश एक बार पूछ लेता मैं आपसे." ज़िंदगी में दूसरी बार वो अथाह निराशा महसूस कर रहा था.    
 सारा की माँ स्तब्ध रह गयी । उन्हे लगा ज़मीन नीचे से फट रही है I ये भगवान का फरिश्ता जो उनके सामने बैठा है, जो सारा को सच्चे दिल से चाहता है, सारा की नादानी की वजह से जा रहा है I उनका मन किया हाथ पकड़ के रोक ले उसे I पर फिर उन्होने अपने आप को संभाला.
 
"बेटा तुम सही सोच रहे हो. मामाजी का कहा मानना ही सही धर्म है. और फिर तुम तो मेरे बेटे हो, बेटा मा से कहा अलग होता है I" अपने  आसू रोकते हुए वो बोली.
 इसके बाद जैसे वक़्त थम गया I एक बार फिर इत्तेफ़ाक़ ने उन्हे मजबूर कर दिया थाI इतना पास आकर भी अमित ने सारा को शायद खो दिया था I दूसरे कमरे से सारा की परछाई उसे देख रही थी I आज फिर सारा की आँखों में शायद आँसू थे, जिनकी वजह अमित था I
माजी से विदा लेकर जब अमित घर से निकला, तो उसने एक बार पलट के देखा I सारा उसे देख रही थी I सारा की आँखो में दर्द था और अमित की आँखो में मजबूरी I
 
सगाई वाले दिन, सारा को उसकी मा ने किसी तरह से तैयार किया । " अमित ने हमारे लिए इतना कुछ किया । अब उसकी खुशी के लिए हमे स्वार्थी नहीं होना चाहिए " पर ना चाह कर भी सारा चाहती रही की ये शादी टूट जाए I

अमित के बंगले को दुल्हन की तरह सजाया गया था, चारों ओर रौनक ही रौनक थी, महंगे कालीन  बिछे हुए थे, शहर के सारे इज्जतदार लोग आए हुए थे . सामने स्टेज था, जिस पर रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया जा रहा था । अमित और मामा जी ने सारा और उसकी मा को तेजी से जाकर रिसीव किया और स्टेज के सामने बीआईपी सोफे पर बैठाया ।रंगारंग कार्यक्रम खत्म होने के बाद मामा जी स्टेज पर पहुंचे और उन्होंने अनाउंस किया अब कुछ ही देर में मंगनी की रस्म अदा की जाएगी उसके बाद आप सभी लोगों से प्रार्थना है कि आप लोग डिनर करके जाएं।
अमित लाल रंग की शेरवानी में जॅंच रहा था । उसे देखकर सारा के दिल में दर्द हुआ । उसे लगा की सगाई के इस शोर में उसकी ज़िंदगी कही खो रही है .
थोड़ी देर बाद मामा जी दोबारा स्टेज पर आए और बोले - - - अब  मैं आमंत्रित करता हूं , अपने प्रिय भांजे अमित कपूर और उसकी लकी चार्म सबसे प्यारी बेटी सारा टंडन को कि वो स्टेज पर आए जिससे मंगनी की रस्म पूरी की जा सके ।
सारा स्तब्ध सी रह गई उसे लगा जैसे उसने गलत सुना है, मां की तरफ देखा वह भी समझ नहीं पा रही थी यह क्या हो रहा है, मामा जी ने फिर  सारा की ओर देखकर कहा “मैं आप ही से कह रहा हूं बेटा।“
अमित ने सारा के पास आकर कहा “क्या सुनाई नहीं दे रहा मामा जी तुम्हें ही बुला रहे हैं” सारा उठकर अमित से लिपट गई I उसके दिल की धड़कन बढ़ी हुई थी और पैर हाथों में कंपन थी । “यह सब क्या है अमित।“ उसकी आँखे पूछ रही थी I
अमित ने धीरे से कहा-- यह तो मुझे भी नहीं मालूम,वैसे मामा जी अक्सर ऐसे सर प्राइज देते रहते हैं औरअगर यह सच है तो दुनिया में मुझसे सुखी कोई नहीं होगा I मैं तुमसे हद से ज्यादा प्यार करता हूं, अब चलो स्टेज पर देखते हैं मामा जी ने क्या चक्कर चलाया है,दरअसल मेरे मामाजी को समझना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है,  माजी आप भी चलिए ,जल्दी करो सारा मेरे मामा जी को गुस्सा भी बड़ी जल्दी आता है।
मामा जी ने मां को बताया की अमित उनका इकलौता भांजा है, जब यह आपके घर से उदास आया तो मैंने इससे सब मालूम कर लिया, सारा ही इसके बचपन का प्यार है, मैंने अपने एनआर आई मित्र को मना लिया ।अमित की खुशियों के अलावा हमें चाहिए भी क्या।
रस्म के बाद अमित ने सारा के कान में कहा देखो "वहां विक्रम बैठा है I मुझसे शादी करने में अगर अभी भी कोई पछतावा है तो विक्रम से बात करूं।"
 "अगर पिटने से डर नहीं लगता तो करना ,तीनों से  पिट जाओगे तुम" सारा जोर से बोली । सब हंसने लगे
  
"आज तारिक़ क्या है माँ" उस रात सारा ने पुछा
 "26" माँ बोली
 सारा को लगा की उसके पिता आसमान से उसे देखकर मुस्कुरा रहे हैं
 


तारीख: 06.04.2020                                    विजय हरित









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