बिन ब्याही माँ

माँ.... मुझे आपसे बात करनी है. गुस्से में दनदनाती महक, अपनी माँ कोमल से कहती है. हाँ.. बोलो लेकिन इतने गुस्से में क्यों हो? माँ, क्या आपकी शादी नहीं हुई है? क्या, आप बिन ब्याही माँ हो? महक की बात सुन कोमल  स्तब्ध हो जाती है. माँ आपके चेहरे का रंग देखकर समझ आ गया है यही सच है. ओह! तो इसका मतलब आनंद अंकल और आपके बीच नाजायज़ सम्बन्ध .... यानी की मैं, आपकी नाजायज़ औलाद हूँ....

15 वर्ष की महकबातें उसके कानों में सीसा उड़ेल रही थी. माँ, तुमने मेरे बारे में, मेरे भविष्य के बारे में भी नहीं सोचा. आपको बिलकुल भी शर्म नहीं आई. मुझे, आपसे घृणा हो रही है. आप मेरी माँ हो, मुझे गाली जैसा लग रहा है...

चटाक! तभी एक ज़ोरदार थप्पड़ महक के गालों पर पड़ता है. बस... चुप हो जाओ. इतनी नफरत? तुम जानती क्या हो? आखिर, जो "माँ" शब्द तुम्हे गाली जैसा लग रहा है, उस माँ का स्थान देवी से भी ऊँचा है, आनंद महक को गुस्सा होते हुए बोलता है.

नहीं, आनंद नहीं... तुम प्लीज़ चले जाओ यहाँ से. हम बाद में बात करेंगे.. हाथ जोड़ते हुए कोमल आनंद से कहती है.

ओह! आनंद अंकल... आप की ही कमी थी. आ गए... अपनी प्रेमिका की गवाही देने, नफरत से भरी महक, जो मुंह में आये बोले जा रही थी.

कोमल, प्लीज़, आज मत रोको, नहीं तो बहुत देर हो जाएगी. "हमारी" बेटी अब बड़ी हो गई है, उसे सच जान्ने का पूरा अधिकार है. आज मुझे इस राज़ को खोलने दो. महक "हमारी" शब्द सुनकर और भी गुस्से में आ जाती है.

महक, बेटा, ये सच है, की कोमल मेरी प्रेमिका है और ये भी की वो बिन ब्याही माँ है, लेकिन ये सच अधूरा है. कोमल और मैं एक ही कॉलेज में थे और एक दूसरे से प्यार करते थे. कोमल में मुझे दोस्त के साथ साथ एक जीवन साथी का अक्स नज़र आता था. जिसका हाथ थाम मैं अपनी अधूरी ज़िंदगी पूरी करना चाहता था. हम दोनों के घर वालों की सहमती थी, लेकिन हम दोनों चाहते थे की पहले कुछ बन जाएँ और अपने पैरों पर खड़े हो जाये.

लगभग पांच साल के लम्बे इंतज़ार के बाद हमने शादी करने का फैसला कर लिया था. लेकिन किस्मत को क्या मंज़ूर है ये किसी को नहीं पता. एक दिन मैं और तुम्हारी माँ रात को बाते करते करते थोड़ी दूर निकल गए. अचानक कोमल को किसी के रोने की आवाज़ आती है. हम दोनों इधर उधर देखते है तो, एक नवजात शिशु दिखाई देता है, जो बुरी तरह से जख्मी, छोटे-छोटे कीड़े मकोड़े उसके शरीर पर लोट रहे थे. बच्चे के शरीर से खून बह रहा था. कोमल ने बिना समय गवाएं उस बच्चे को अपने दुपट्टे में ले अपनी छाती से लगा लिया. माँ का वातसल्य और ममता की शीतलता पाकर वो शिशु अपनी ही पीड़ा भूल चुप हो गया और टुकुर टुकुर कोमल को देखने लगा .

जानती हो, वो नवजात शिशु कौन था? वो तुम थी, महक तुम. तुम्हारे प्यार की अनुभूति ने कोमल को बिन ब्याही माँ बना दिया था.  वह तुम्हे कानूनी तौर पर गोद लेना चाहती थी. लेकिन मेरे घर वालों को ये बात मंज़ूर ना थी. उनकी नज़रों में वे किसी और के पाप को अपने घर की शोभा नहीं बनाना चाहते थे. कोमल को उसकी माँ ने भी समझाया... लेकिन उसने समाज की फ़िक्र न कर तुम्हे चुना.

कोमल मुझसे शादी नहीं करना चाहती थी. मेने उसे बहुत समझाया की मैं अपने पिता होने का पूरा फ़र्ज़ निभाउंगा. उसकी नज़र में ना तो मेरे साथ इन्साफ था और ना हीतुम्हारे साथ. और माँ की ममता के आगे मुझे अपना प्रेम बौना सा प्रतीत होने लगा.

इसलिए उसने बदनामी की ओढ़नी ओढ़ तुम्हे अपने प्यार के आँचल में समेट लिया. मेने भी कोमल से वादा किया की मैं आजीवन किसी और से शादी नहीं करूँगा और कोमल के साथ हमसफ़र ना सही एक दोस्त बन कर हमेशा उसका साथ दूंगा और तुम्हे भी पिता की तरह पूरा सहयोग करूंगा.

महक, तुम्हारी माँ बहुत खुद्दार है. उसने अपने बलबूते पर तुम्हे पाला है. पग-पग पर खुद कठिनाइयों का सामना किया, पर तुम पर आंच नहीं आने दी.

और तुम ही बताओ क्या कभी तुम्हेअपने माँ के प्यार में कमी लगी? क्या कभी तुम्हे मेरे और अपनी माँ के रिश्ते में कुछ गलत लगा? महक, ये सच है की मैं आज भी तुम्हारी माँ को प्रेम करता हूँ, लेकिन मेरा प्रेम बिलकुल निश्छल है. माँ-बेटी के प्यार में तीसरे का कोई स्थान नहीं है, इसलिए मैं अब कभी यहाँ नहीं आऊंगा.

सॉरी माँ, मुझे माफ़ कर दो मेरे अपने माता पिता ने मुझे लवारिस समझ मौत के हवाले कर दिया और आप दोनों ने अपना सब कुछ त्याग मुझे कितना प्यार दिया. और हम माँ-बेटी के प्यार में पिता के प्यार की कमी है क्या आप मुझे अपनी बेटी स्वीकार करोगे पापा... महक मुस्कुराते हुए अपनी माँ और पापा के गले लग जाती है. आज बिन ब्याही माँ दुल्हन बन गई और उनका परिवार पूर्ण हो गया.

 


तारीख: 23.02.2024                                    मंजरी शर्मा









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