एक चिंगारी बाकी थी अभी उस सीने में...
पर उसे आग में बदलना ज़रा मुश्किल था,
एक चाहत थी अभी उस दिल में फिर से जीने की...
पर उसे धड़काना ज़रा मुशिकल था,
ममता के स्पर्श को महसूस कर,उसका मन मुस्कुरा रहा था....
पर उस मुस्कान को लवों पर लाना ज़रा मुश्किल था,
साथियों के आंसू उसे भी रुला रहे थे....
पर उन आंसूओं को आंखों में लाना ज़रा मुश्किल था,
वह कुछ कहना चाहता था सबसे....
पर उसकी बात समझना औरों के लिए ज़रा मुश्किल था,
वह ढूंढ़ रहा था वहाँ अपने प्यार को....
पर उसे यहाँ बुलाना ज़रा मुश्किल था,
मुश्किल था मेरे लिए इस शरीर को त्यागना....
पर उसके दर्द को संभालना ज़रा ज्यादा मुश्किल था,
पर जीवन की मुश्किलों से लड़ कर भी....
प्यार में हारे इस शरीर को त्यागना ही अब इसकी मुशकिलों का अंत था.....।