
( मनहरण कवित्त छन्द )
भिखारी बनो
लालची लुटेरे लूटते लोगों को कथाओं से,
कथा कह के करोड़पति बहुत बने।
अज़ीब अन्धभक्ति अपनाता आदमी अब,
सब श्रोता सुन-सुनकर सनकी बने।
काले-काले कौए करतब करे नित्य नये,
अन्धविश्वासी अज्ञ भोले भरयाये घने।
दक्षिणा देने से वे बने बड़े अरबपति,
“मारुत” तुम देकर दान भिखारी बने।।