भारत की महिमा

 

इतिहास गवाही देता है, हुई कई धर्मों पे लङाई,
अब भी मेरी बात समझ लो, सभी भारतीय भाई-भाई।

     बहुमूल्य खजाने भारत माँ के, विदेशीयो ने तो लूट लिया,
पर भारतीयों के मन मंदिर से, अपना पन धन नही लिया।

     जो छल कपट व कायरता से, भारत का अपमान किया,
विश्व धरा पर हमने उसका, हर पल परदा फाश किया।

     ग्रंथ हमारा विश्व मे चर्चित, नव सृजन की जननी है,
दावा आज भले कोई ठोके, भारत जग मे अगृणी है।

     सदियो पुर्व यहा कि रचना, आज विश्व के समझ के परे,
काल चक्र की हर एक घटना, भारत का उदगार करे।

     नही मिटेगी हस्ती अपनी,  सोच जरा ईस जग का बदलो,
ऐ चाणक्य व आर्य के वंशज, प्रगती पथ पर बढे चलो।

     सत्य-अहिंसा के हम रक्षक, धर्म-कर्म के ज्ञानी है,
ना कोई हिंदू ना कोई मुस्लिम, हम सब हिंदोस्तानी है।


तारीख: 20.03.2018                                    प्रत्यय प्रसून




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