ब्लैक होल की गहराई में, कहाँ खो जाते हैं सपने?

black hole me khoye sapne par kavita by musafir

 

अनंत के उस पार जहाँ,  
अंधेरा अपनी बाहों को फैलाए,  
ब्लैक होल की रहस्यमयी गहराई में,  
कहाँ खो जाते हैं सपने, अपने?

उस अथाह गहराई में जहां,  
रोशनी भी ना लौट कर आए,  
वहाँ सपने किस दरवाजे से गुजरते हैं,  
किस अनजानी राह पर अपना ठिकाना पाते हैं?

क्या वहाँ पहुँचकर सपने भी बदल जाते हैं,  
उनके रंग, उनकी बातें, उनकी आहटें?  
या फिर वो भी समय के साथ गुम हो जाते,  
जैसे कि सब कुछ, जो उस गहराई में समाता है?

कहीं वो सपने नई उम्मीदें बुनते होंगे,  
अनदेखी दुनिया में नये किस्से गढ़ते होंगे,  
या फिर वो शांति पा जाते हैं उस अज्ञात में,  
जहाँ से कोई लौटकर नहीं आता है?

वो सपने जो बचपन में पले-बढ़े थे,  
खिलौनों की तरह जो हमने सजाये थे,  
क्यों वक्त की रफ्तार में खो गए,  
क्या उन्हें भी ब्लैक होल ने निगल लिया?

वह सपने जो हमारी जवानी के थे साथी,  
उच्च आकांक्षाएं, जिन्हें हमने बाँध रखा था प्यार से,  
जीवन की असंख्य चुनौतियों में कहीं गुम हो गए,  
क्या उन्हें भी यह अनंत ने आगोश में ले लिया?

ब्लैक होल की गहराई में, सपने क्या खोजते हैं?  
क्या वे भी हमारी तरह जवाब ढूँढते हैं?  
या अंत में वे सिर्फ एक कहानी बन जाते हैं,  
जिसे हम रातों-रात सितारों में तलाशते हैं?


तारीख: 11.04.2024                                    मुसाफ़िर









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है