टूटी हुई सड़कें और टूटे हुए कांच
जलते हुए मकान
आग और ये आंच
फिर से जुड़ जायेंगे,फिर से बन जायेंगे
मगर कब
तब
जब फौंजे लौट जाएंगी,जब फौंजे लौट जाएँगी
लुटी हुई दुकानें, टूटे हुए ताले
रिपेयर कर दिये जायेंगे
खाली खाली से स्टोर दुबारा भर दिये जायेंगे
मगर कब
तब
जब फौंजे लौट जाएंगी, जब फौजें लौट जाएंगी
जंगलों का रूखापन,नदियों का सूखापन
दूर हो जाएगा,हर तरफ फिर से नूर हो जाऐगा
मगर कब
तब
जब फौंजे लौट जाएंगी,जब फौंजे लौट जाएंगी