जब फौंजे लौट जाएंगी

Hindi kavita

टूटी हुई सड़कें और टूटे हुए कांच
जलते हुए मकान
आग और ये आंच
फिर से जुड़ जायेंगे,फिर से बन जायेंगे
मगर कब
तब
जब फौंजे लौट जाएंगी,जब फौंजे लौट जाएँगी

 

लुटी हुई दुकानें, टूटे हुए ताले
रिपेयर कर दिये जायेंगे
खाली खाली से स्टोर दुबारा भर दिये जायेंगे
मगर कब
तब
जब फौंजे लौट जाएंगी, जब फौजें लौट जाएंगी

 

जंगलों का रूखापन,नदियों का सूखापन
दूर हो जाएगा,हर तरफ फिर से नूर हो जाऐगा
मगर कब
तब
जब फौंजे लौट जाएंगी,जब फौंजे लौट जाएंगी


तारीख: 27.02.2024                                    मारूफ आलम









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है