माँ , मुझे तू चाहिये,
तेरा आश्रय, आलम्बन चाहिये |
ज़िन्दगी की मसाफ़त से
थक थक कर चूर चूर होने के बाद
तेरी गोद का सहारा,
तेरे आँचल का स्पर्श चाहिये |
माँ , मुझे तू चाहिये|
माँ , मैं लड़ना नहीं , हारना चाहता हूँ ,
इस ख़ारज़ार से जाना चाहता हूँ,
सह न सकूंगा ज़र्ब अजीमों के ,
लर्ज़िश को पोशीदा रखना चाहता हूँ |
माँ , ज़िन्दगी से मायूस बशर को तेरा अवलम्बन चाहिये ,
माँ , मुझे तू चाहिये , मुझे तू चाहिये , मुझे तू चाहिये ||