माँ , मुझे तू चाहिये

 माँ , मुझे तू चाहिये,
तेरा आश्रय, आलम्बन चाहिये |

ज़िन्दगी की मसाफ़त से
थक थक कर चूर चूर होने के बाद
तेरी गोद का सहारा,
तेरे आँचल का स्पर्श चाहिये |  

माँ , मुझे तू चाहिये|

माँ , मैं लड़ना नहीं , हारना चाहता हूँ ,
       इस ख़ारज़ार से जाना चाहता हूँ,
       सह न सकूंगा ज़र्ब अजीमों के ,
       लर्ज़िश को पोशीदा रखना चाहता हूँ |
माँ , ज़िन्दगी से मायूस बशर को तेरा अवलम्बन चाहिये ,
माँ , मुझे तू चाहिये , मुझे तू चाहिये , मुझे तू चाहिये  ||
 


तारीख: 22.03.2025                                    शीलव्रत पटेरिया




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