मैं तो एक दरख्त हूँ

दरख़्त की तरह खड़ा हूँ मैं, 
इतने सालों से सह रहा हूँ, हर तूफान 
झेल रहा हूँ लू के थपेड़ो को, 
पतझड को, खड़ा हूँ अकेला 
हमेशा सहने हर हालत 


पर मुझमे भी,  तो जीवन है 
एहसास मुझे भी होता है, दर्द मुझे भी होता  है 
मैं भी चाहता हूँ कोई मुझे भी तो समझे, 
मेरी तने से लिपटकर कोई तो हो पास मेरे, 
कुछ प्यार की बौछार मुझ पर भी तो करे 


जूझ रहा हूँ, लड़ रहा हूँ वक़्त से 
उसके हर फैसले को कर स्वीकार 
खड़ा हूँ, पर मुझे भी तो  चाहिये वो प्यार 
एहसास वो अपनापन जिसमें कोई कहे 
चिंता मत करो , मैं हूँ ना 
कुछ नही होने दूंगा तुझे, 
हर तूफान से हर मुसीबत से करूंगा 
तेरी हिफाजत 


पर मैं तो दरख़्त हूँ ना 
अकेले ही खड़ा रहना पड़ेगा 
तमाम उम्र यूँ ही अकेले सहते हुए सब कुछ------
पर मैं तो एक दरख़्त हूँ, मैं तो एक दरख्त हूँ ना 


तारीख: 20.08.2019                                                        मंजू सोनी






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