बचपन

कितना था प्यारा वो मेरा बचपन-2
बाबा का वो प्यार अम्मा का वो आँचल ।
अम्मा के हाथों आंखों मे वो काजल
कितना था प्यारा वो मेरा बचपन ।

बालू के टीलों पे बनाता था मै घर -2
तोड़ जाती थी जिसको आती नदियों की लहर।
सब कुछ है , पर नही भाता है-2
ये भीड़ और ये शहर।
याद आता है आज भी मेरा
मिट्टी और खपड़े का वो घर।
कितना प्यारा था वो मेरा बचपन
बाबा का वो प्यार अम्मा का वो आँचल।

याद आती है मुझे आज भी
गाँव की वो बहती नदियाँ ।
दोस्तों के साथ खेलते थें जिसमे
आम की वो बगियाँ।
खेतों मे लहलहाती
मटर की वो छिमयाँ ।
कितना प्यारा था वो मेरा बचपन
बाबा का वो प्यार अम्मा का वो आँचल।
कितना प्यारा था वो मेरा बचपन।


तारीख: 19.09.2019                                    राकेश कुमार साह




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