दिन का कोई गान सहेजे
रातों का अभिमान सहेजे
मन की वीणा के तारों से, गीत नया बनने वाला है
मीत नया बनने वाला है
-------------------
रिश्तों की परिभाषा बदली
सर्वोपरि यह मित्र धर्मं है
प्रेम, त्याग का नाम दूसरा
प्रेम ही बस सर्वोच्च कर्म है
जिसमें लेगा प्रेम बसेरा , नीड़ नया बनने वाला है
मीत नया बनने वाला है
-------------------
पूरे होंगे स्वप्न सुनहले
नवरस का आभास मिलेगा
फिर चाहे जो भी मौसम हो,
यौवन का मधुमास मिलेगा
जो भविष्य से सहमा था वो जड़ अतीत चलने वाला है
मीत नया बनने वाला है
-------------------
जिसकी अरसे से चाहत थी
दूर हुआ घनघोर अँधेरा
दिव्य-ज्योति की इस आशा में
गौण हुआ यह सजल सवेरा
अब मन की पावन देहरी पर दीप नया जलने वाला है
मीत नया बनने वाला है