नहीं होती

 

यह कैसी खामोशी है
बेआवाज़ सी
इस पुराने घर की
खिड़की दरवाज़ों को
किसने बनाया है कि
सदियों बाद इन्हें खोला
तो भी इनमें आवाज़
नहीं होती


यह कैसी है चौखट
जो पार नहीँ होती
यह कैसी है सूखी लकड़ी की
छाल सी चिलमन
जिसमें दरार नहीँ होती।


तारीख: 21.10.2017                                    मीनल









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