पहुना की सालियाँ

पहुना को करने को परेशान,

सालियों ने किया खूब प्लान ।।

टूटी खाट पर बिछाके चादर,

किया पहुना का खूब आदर ।।

 

जब गिरा पहुना ज़मीन पर,

आई हंसी तब उनके मुँह पर ।।

हंसते-हंसते हुईं वे लोट-पोट,

पूछा पहुना से आई क्या चोट ।।

 

पहुना ने अपनी लाज छुपायी,

हँसके अपनी क़मर सहलायी ।।

सोचा कुछ फिर हुआ सावधान,

ठानी उसने ना बनूँ मैं नादान ।।

 

अब सालियों ने अलग बिठाया,

फिर नाश्ते में रसगुल्ला लाया ।।

देख रसगुल्ले पहुना ललचाया,

उसके मुँह में पानी भर आया ।।

 

उसने झट एक रसगुल्ला दबाया,

दाँतों के नीचे शक्त कंकड़ आया ।।

उसने बंदर जैसा तब मुँह बनाया,

तब सालियों ने ठहाका लगाया ।।

 

उनको मज़ा फिर तो खूब आया,

अबकी पहुना तो बड़ा शरमाया ।।

कहे “जैहिंद” रखो साली का मान,

सालियाँ होतीं #पहुना की जान ।।

 

 

 


तारीख: 17.12.2017                                    दिनेश एल० जैहिंद









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है