आजादी को हो गए,.आज उनहत्तर साल !
नहीं गुलामी का मगर,कटा ज़हन से जाल !!
आजादी का कब हुआ,हमें पूर्ण अहसास !
पहले गोरों के रहे ,...अब अपनों के दास !!
जिसको देखो बेधड़क, लूट रहा है देश !
आजादी के अर्थ को, समझे नहीं रमेश !!
आजादी के बाद से, दिन-दिन भड़की आग !
साल उनहत्तर बाद भी, नहीं सके हम जाग !!
भूखे को रोटी नहीं,रहने को न मकान !
हुआ देश आजाद ये,कैसे लूँ मै मान! !
आज़ादी को हो गये,आज उनहत्तर साल !!
नेता तो खुशहाल हैं,पर जनता बदहाल!
आजादी अब हो गई, है ऐसा हथियार !
अपनों के आगे करे, अपनों को लाचार !!