तड़प कर कहाँ जाओगे

तड़प कर कहाँ जाओगे 
जिंदगी यही है
बस यहीं है!

ये आँसू तो
तपस्या है पतझड की
इन्हे बहने दो
आगमन होगी
बंसत की!

कतरा कतरा भर
आँखो में धूल यहाँ है 
लाखों काँटो से लिपटा
एक फूल यहाँ हैं!

कब-तक कब-तक
कहाँ कहाँ जाओगे
जिंदगी यही है
बस यहीं है
कभी ना कभी
वापस तुम आओगे
तड़पकर आखिर कहाँ जाओगे !!!
 


तारीख: 09.06.2017                                    पीयूष झा




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