
( रूप छनाक्षरी छन्द )
विज्ञान और काले कौए
विज्ञान बतालाता अर्क अनित्य तप्त तारा,
परिक्रमा प्यारे अष्ट अनोखे ग्रह लगाय।
चक्कर चहुँओर काटे कलित क्षुद्रग्रह,
कुइपर कक्षा धूमकेतु धूमिल समाय।
प्यारे प्राकृतिक उपग्रह ग्रहों के अनेक,
गतिशील ग्रहों के चक्कर चन्द्रमा लगाय।
चंचल चन्द्रमा परिक्रमा पृथ्वी की करता,
तर्क-तराजू तोलकर तर्कशील बनाय।।
( 01 )
गपोड़पंथी गलत गिनाते ग्रह नव है,
अवैज्ञानिक अंधतायुक्त बात बतलाय।
सनकी सूर्य को कहते ग्रह, देवता दिव्य,
चारु चन्द को गंभीरतम ग्रह बतलाय।
भ्रम भरा भव भूमि को ग्रह मानत नहीं,
राहू-केतु कल्पना के काले दैत्य दिखलाय।
“मारुत” मतिमन्द ढोंग-ढकोसले फैलाते,
काले कौए विज्ञान विरुद्ध बातें बतलाय।।
( 02 )