बात को बतंगड़ बनाना

बात को  बतंगड़  बनाना ,कोई आप से सीखे
बेशर्मी की हद तक जाना कोइ आप से सीखे ।
यूँ तो कितने आये और गए सियासत में हुजूर
मौके  का फायदा उठाना कोई आप से सीखे ।
हर्रे लगे न फिटकरी,मगर  रंग चोखा हो जाए
भई , जनता को भरमाना कोई आप से सीखे।
मिट्टी के माधो बना कर रखा है विपक्षियों को
सियासी पैतरें आजमाना कोई आप से सीखे।
तुम  भी कम नहीं हो लंबी  हाँकने  में अजय
घटिया शायरी पे इतराना कोई आप से सीखे ।
 


तारीख: 19.03.2024                                    अजय प्रसाद









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