भूखे पेट

भूखे  पेट  तो  प्यार नहीं  होता
खाली जेब  बाज़ार नहीं  होता ।
पढ़ा-लिखा के घर पे बिठातें हैं
यूँही कोई बेरोज़गार नहीं होता ।
बेलने पड़ते हैं पापड़ क्या क्या
आसानी से सरकार नहीं होता ।
आजकल के बच्चों से क्या कहें
सँग रहना ही परिवार नहीं होता ।
दिल में गर खुलूस न हो अजय
तो फ़िर सेवा,सत्कार नहीं होता।
 


तारीख: 19.03.2024                                    अजय प्रसाद









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