दग़ा कर, या वफ़ा कर

दग़ा कर, या वफ़ा कर
अब तू मेरा फैसला कर
भर ले मुझको बाहों में
या मुझसे फासला कर
तन्हा तुम अकेले तो नहीं
खत्म ये सिलसिला कर
जरूरी नहीं मेरी बात पर
हर बार कोई मसअला कर
कोशिश रहे हर बार यही
जो हो सके तो भला कर
 


तारीख: 10.04.2024                                    ज्योतिष सिंह









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है