क्या हुआ जो हम हार जाए
ज़रूरी है कोशिशों से कुछ बदलाव लाए
ज़िन्दगी बहुत कुछ है एक दायरे के सिवा
खोले इतनी तो बाँहे की दायरे मिटा पाए
नासमझियां गलतियां भी होनी ज़रूरी है
न करने वाले कहीं भगवान न हो जाये
दरख़्तो सा खुद में शामिल हो औरो का सफीना
कितना अच्छा हो अगर ऐसा इंसान हो जाये
पसन्द होगी बेड़िया पुरानी भी बहुतो को
क्या हो जो नए पंखों को खुली हवा दी जाए
होगा ज़रूर सुकूँ आपके दायरों में
क्या हो जो दायरों से आगे हम सुकूँ ढूंढ लाये।