धागा

धागा

वो पतला-सा काला धागा;
    जो माँ ने प्यार से मन्नत में बांधा;
जो हर बलाओं से मुझे बचाता;
    आज भी मेरी नज़र उतार जाता...

वो शगुन-का लाल धागा;
   जो पिता ने आशीर्वाद से,उन्नति के लिए बांधा;
जो हर ऊंचाइयों पर मुझे पहुँचाता;
    आज भी हर मुकाम पर सफलता दिलाता...

वो प्यार-का रक्षा का धागा;
   जो भाई ने भी, मुझे बांधा;
जो रक्षा सूत्र कहलाता;
   आज भी मन को बहुत भाता...

वो प्रेम का काले मोतियों का धागा;
   जो प्रियतम तुमने, मेरे गले में विश्वास-से बांधा;
जैसे प्रीत हो कृष्ण और राधा;
   जैसे इश्क हो चाँद सा आधा...


तारीख: 04.02.2024                                    मंजरी शर्मा









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