धरा कश्मीर हमें जान से भी प्यारी है

धरा कश्मीर हमें जान से भी प्यारी है

सेब के बाग जहाँ केसर की क्यारी है,
हिम से ढँके ऊँची-ऊँची पहाड़ी है,
जिसे प्रकृति ने ले गोद में सवांरी है, 
धरा कश्मीर हमें जान से भी प्यारी है।

जहां विराजते हैं बाबा बर्फानी,
दर्शन देती माता वैष्णो भवानी,
जय माता दी बोलो जय माता रानी,
मंदिरों का शहर धर्म ध्वजा धारी है।
धरा कश्मीर हमें जान से भी प्यारी है।

जहां डल झील में तैरते शिकारे,
फूलों की घाटी मनमोहक नजारे,
अशोक ने बसाया है झेलम किनारे,
धरती के स्वर्ग की बात ही न्यारी है।
धरा कश्मीर हमें जान से भी प्यारी है

राजतरंगिणी में वर्णित इतिहास है,
कल्हण रचित संस्कृत-ग्रंथ खास है,
हमें सरदार के जतन का आभास है,
लौह-पुरुष का राष्ट्र आभारी है।
धरा कश्मीर हमें जान से भी प्यारी है।

केवल भू-खण्ड नहीं भारत का भाल है,
देश के आन-बान-शान का सवाल है,
जल-थल-नभ से सुरक्षा बेमिसाल है,
अगली बार पी॰ ओ॰ के॰ की बारी है।
धरा कश्मीर हमें जान से भी प्यारी है।


तारीख: 15.04.2024                                    राजीव रंजन









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