एक नये मौसम के
आने के इंतजार में
पतझड़ मुस्कुराता है
पर वृक्ष अपने सूखे पत्तों को
गिरता हुआ देख
व्यथित हो जाता है
टहनियों का खालीपन
वृक्षों के जीवन में
सूनापन ले आया है
पर पतझड़ अब भी
मुस्कुरा रहा
उस छोटे से पत्ते की
मासूमियत देख इतरा रहा
जो दूर खड़े उस वृक्ष
पर लगा अपने
अकेलेपन से जूझता
हवा से बातें करता
वह नादान इधर-उधर हिलता
फिर मस्ती में कुछ कहता
और शान्त हो जाता
शायद उसे भी
इंतजार है
पतझड़ के बाद
आने वाले उस मौसम का
जब वह अकेला नहीं होगा।