फौज

ये लफ्ज़ कभी कभी बहुत डरावना लगने लगता है
खासकर तब
जब
 सेन्य टुकड़ियां किसी तानाशाह के दबाव में
कुचल देखतीं हैं
बेकसूर नागरिकों के हितों को
और सम्मान में लिखतीं हैं
हमारी सेना विश्व की सबसे पेशेवर सेना है
उस वकत 
इस लफ्ज़ के सारे मायने बदल जाते हैं


तारीख: 08.04.2024                                    मारूफ आलम









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