इंतजाम कर लिया है मैंने

वक्त के खजाने से
कुछ कीमती सिक्के
संभाल कर रख लिए हैं
और तुम्हारे साथ
बिताए इक - इक पलों की
भी गठरी बना ली है मैंने
हिसाब कर दिया है
उन सभी भावनाओं का
जिन्होंने मुझे हमेशा परेशान किया
और अपनी चुभती हुई
वेदनाओं को भी मैंने
निकाल कर फेंक दिया है
क्योंकि जाने का इंतजाम
कर लिया है मैंने....


तारीख: 03.04.2024                                    वंदना अग्रवाल निराली









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