प्यार मेरा

 

जब बात होती है प्यार की
तो जेहन में मेरे
गूँजता है एक नाम
और आँखों के सामने 
छा जाती है एक तस्वीर 
मैं कोई लैला मजनू की बात नहीं कर रही
मैं कर रही हूँ बात अपने पापा की
एक पिता और बेटी का रिश्ता 
जो सबसे बढकर है मेरे लिए 
कह दे कोई अगर मुझे
'वो अपने पापा की बेटी है'
गदगद हो जाता है मन मेरा 
पापा साथ हो अगर
तो हो जाता है हर सफर रोमांचक मेरा ।

जिंदगी में यूँ तो
बहुत लोंगो से जुङी हूँ मैं
पर मेरे आदर्श सिर्फ मेरे पापा हैं
जिनको हर मोङ पर मैंने
संग अपने पाया है।
मुश्किल घड़ियों में भी उन्होंने
सच का साथ देना सिखलाया है।

हर वक़्त मुझे खुशियाँ देने में लगे रहते हैं
बड़ी हो गई हूँ मैं
पर फिर भी गुड़िया मुझको कहते हैं।
सपने कुछ उनके भी होंगे
पर उसकी उनको परवाह कहाँ
मेरे सपने अब उनके हैं।
निज उनकी कोई चाह कहाँ?
कहते हैं 
कहते हैं 
'तुम्हारे सपने अब मेरे हैं
करो इनको पूरा 
साथ देने पापा तुम्हारे खड़े हैं।
किसी मुकाम पर अगर लगे
किसी मुकाम पर अगर लगे कि ये राहें कठिन है बहुत 
तो यह मत भूलना 
कि साथ देने पापा तुम्हारे हर वक़्त खड़े हैं।


तारीख: 03.11.2017                                    प्रेरणा कुमारी









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है