जो मर गया

सब जानकर भी भीड़ में, 
पूछा किसी ने भीड़ से –
क्यों लाश इतनी मौन है,
जो मर गया ये कौन है?
ये था कभी पहले मरा
या आज केवल अब मरा?
क्या जिंदगी जीकर मरा, 
खाकर मरा, पीकर मरा
या मर गया बस मर गया, 
किसको पता ये कौन है!

क्या रोज़ी-दिहाड़ी बंद थी, 
चूल्हे की आँच मंद थी,
या कि ताला मील(मिल) का, 
काफी दिनों तक सील था?
ठोकर लगी क्या रोड पर, 
मोटर चढ़ी या मोड़ पर
रहकर शहर में ही मरा?
कुछ दूर चलकर फिर मरा
या मर गया बस मर गया, 
किसको पता ये कौन है!

क्या है कोई घर-बार इसका, 
जाँच लो 'आधार' इसका!
सब अंग देखो, रंग देखो;
मरने का इसका ढंग देखो
क्या थी शहर में शान इसकी 
या कौड़ियों की जान इसकी
क्या मारकर कुछ को मरा, 
पहचान कर खुद को मरा
या मर गया बस मर गया, 
किसको पता ये कौन है!

क्यों खुल गया हर तार इसका, 
लुट गया संसार इसका?
कोई दाग था रणछोड़ का 
या गाँठ था कोई जोड़ का?
काटा  किसी  कुख्यात  ने  
या  भीड़  में  अज्ञात  ने?
था एक झटके में मरा 
या कि तड़पकर फिर मरा
या मर गया बस मर गया 
किसको पता ये कौन है!


तारीख: 09.04.2024                                    आदर्श भदौरिया राहुल









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