खुद पर यकीन

तू खुद पर कर यकीन

 ना खुद को हताश कर ,

 करेगा कोई मदद तेरी

 ना इसकी तू आस कर ,

तू खुद पर कर यकीन 

ना खुद को हताश कर |



इस समय को तू ना व्यर्थ कर 

खुद को तू ना असमर्थ कर ,

ना रुक कभी किसी मोड़ पर 

ना सोच के अतीत खुद को कमजोर कर ,

तू बढ़ अपनी मंज़िल पर 

किसी हार का डर छोड़ कर |

ना डर इन राहों के पहाड़ से 

बन मांझी तू इस पर प्रहार कर ,

दे के रास्ता यह तेरे आगे झुकआएंगे सर 

तू बस मांझी जैसा प्रयास कर ,

यह जो तेरे अपने तेरा मज़ाक बना रहे हैं 

यह मिलेंगे तुमसे अपनी नज़रें झुका कर |



जो हाथ में है किताब तेरे 

और दिल में पढ़ाई का जुनून है , 

तू दिखा दे इस दुनिया को

 हर मंज़िल फ़तह कर ,

तू खुद पर कर यकीन 

ना खुद को हताश कर , 

करेगा कोई मदद तेरी 

ना इसकी तू आस कर ,

तू खुद पर कर यकीन

 ना खुद को हताश कर |
 


तारीख: 15.04.2024                                    दिव्यांश सिंह









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