मेरे भैया

इस बार मैं नहीं आ पाऊँगी,
राखी पर मेरे भैया...
अपनी कलाई सुनी ना रखना, 
एक शगुन का धागा खुद ही बाँध लेना.... 

पिछले बार की, राखी की, यादों में, दोनों मुस्कुरा देंगे, 
वीडियो कॉल के ज़रिये मुंह मीठा करा देंगे... 

भाभी को भी कहना ना हो उदास, 
हँसी ठिठोली को रखना अपने पास.. 

दूर हैं तो क्या... पास तो है दिल से, 
अगली बार त्यौहार मना लेंगे मिल के... 

भेज रही हूँ, प्यार के इंद्रधनुषी रंग,
कुछ पल बिता लेना इसके संग...

अब आँख के कोरों से, इन अश्कों को छिपा लो... 
बहुत हो गया अब, ज़रा मुस्कुरा दो
 


तारीख: 18.02.2024                                    मंजरी शर्मा









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