खुद से तन्हा होते चले गए, ना पार हुआ ये समन्दर हम डूबते चले गए।
छोटी सी खुशी की बता दी उसने कीमत, जिनके लिए आये थे वो मुंह फेर के चले गए।
हालातों ने भी क्या हमारे खूब हौसले तोड़े, उड़ना था हमें और हम कैद होते चले गए।
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