कृतज्ञता

हर पल हमें उस मौत का ख़याल है 

जिनका कोई जवाब नहीं, सारे ऐसे ही तो सवाल है 

हमारी हिफ़ाज़त के लिए ख़ुद जोखिम उठा रहे हे तुम 

इसलिए महफ़ूज़ है हम...

लोग पुछते है प्यार किस चिड़िया का नाम है?

लेकिन अपनो से बिछड़ना नहीं कोई आसान काम है

घर से दुर होकर भी पुरी लगन से काम कर रहे हो तुम 

इसलिए महफ़ूज़ है हम...

एक चिराग़ की रोशनी भी हमें राह दिखातीं है 

ख़ुद जलकर हमे आगे बढ़ाना सिखातीं है

उसी नन्हें चिराग़ की मशाल बना रहे हो तुम 

इसलिए महफ़ूज़ है हम...

ना रूकती इस दुनिया में किसका किसपे ध्यान है?

अविश्वास का दुसरा नाम हि शायद इन्सान है 

इसी ख़ुदगर्ज़ दुनिया में एक मिसाल बना रहे हो तुम 

इसलिए महफ़ूज़ है हम...

आपकी ये सच्ची मेहनत ज़रूर रंग लायेगी 

सारी उमंगे फिरसे लौटकर आएगी 

उन्हीं ख़ुश पलों की नींव आज सज़ा रहे हो तुम 

इसलिए महफ़ूज़ है हम...

ख़ुदा हर एक पल का हिसाब रखता है 

सुरज भी कहाँ पुरा दिन जलत है?

दिन-रात को भुलाकर उस विधाता को भी ललकार रहे हो तुम

इसलिए महफ़ूज़ है हम...

कश्मीर से कन्याकुमारी तक, कच्छ से मिज़ोरम तक सबको तुम पर नाज़ है 

आख़िर जीत हमारी ही होगी यही सबका विश्वास है 

हमारा हौसला हमारी ताक़त हमारा भरोसा हो तुम 

इसलिए महफ़ूज़ है हम...

एक एक सुर जोड़कर सरगम बनती है 

एक एक ख़्वाब मिलकर धड़कन बनती है 

इन्हीं ख़्वाबों की बुनियाद पर एक सुंदर कल बना रहे हो तुम 

इसलिए ‘आज’ महफ़ूज़ है हम...


तारीख: 12.04.2024                                    पंकज









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