लाकडाऊन

गांव खुश हैं,
वायरस वहां चुप है !
शहर थे खुशफहमी में,
अबतक सन्नाटा घुप्प है!
हुई हवा शुद्ध,
अब हर दिल में,
बुद्ध है!
धर्म-मजहब छूटा पीछे,
ये इंसानियत जगाता,
आपसी प्रेम का,
युद्ध है!


तारीख: 09.04.2024                                    सुजाता









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