गांव खुश हैं, वायरस वहां चुप है ! शहर थे खुशफहमी में, अबतक सन्नाटा घुप्प है! हुई हवा शुद्ध, अब हर दिल में, बुद्ध है! धर्म-मजहब छूटा पीछे, ये इंसानियत जगाता, आपसी प्रेम का, युद्ध है!
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