महाराणा प्रताप

तेज कटिलो, तलवार कटीली
भाला री वा नोंक हाल कटीली
महाराणा री हुँकार कटीली
मेवाड़ी आण री झंकार कटीली

उगते सूरज आड़ावाल चमके
हाल वो भाटो भाटो धधके
ऊबे घोड़े बहलोल ने
दो फाड़ काटियो
हाल वा तलवार री धार छळके

मुगलां रा छाया वादलां में
सूरज एक गर्विलो थो
चेतक री टापों संग
स्वाभिमान जगातो
राणो वो हठीलो थो

वन देख्या
मगरा देख्या
महल छूट्या, चित्तौड़ छूटीयो
पण छूटी नि वा आण निराली
घुटणा टूटे, हाथ कटे पण
माथो झुके ओ मंजूर नहीं

माथो झुके ओ मंजूर नहीं...।।
 


तारीख: 13.04.2024                                    ज्योति कँवर चौहान









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