नक्षत्र

टूटता तारा देखकर कर मन मे सवाल आता है
कि टूट कर आखिर वो कहा जाता है
जैसे टहनियां टूट कर फिर उग आती है
क्या तारो का भी पुनर्निर्माण हो जाता है
टूटता तारा देखकर कर....
सच है क्या कि टूट कर कइयों की इच्छा पूरी कर जाता है
या इच्छाओ के बोझ से उसका टूटना तय हो जाता है
सत्य है तो कब तक दूसरो के लिए टूटेंगे
अगर असत्य तो टूटते को देख क्यों मांगा जाता है
टूटता तारा देखकर कर....
क्यों नाम पर प्रथाओं के संवेदनाओं को मारा जाता है
क्यों इंसानो को विभाजक प्रथाओं की बलि चढ़ाया जाता है
सन्दर्भ तारे का सँस्कृति के नाम पर दोहराया जाता है
संसय यह घोर दिल मे घर कर जाता है 
सँस्कृति ने इंसां रचे है या इंसां सँस्कृति निर्माता है 
टूटता तारा देखकर कर....


तारीख: 22.02.2024                                    आलोक कुमार









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