प्राकृतिक सौन्दर्य पर हमने दाग लगाया है

चहुँ ओर फैली हरियाली 
देती जो हमको खुशहाली 
पर यह कब तक बनी रहेगी 
जब न मोटर - कार रहेगी 
इसे चलाकर हमने दूषित वायु किया 
जानबूझकर हमने छोटा आयु किया 
कर वायु प्रदूषित हमने महाप्रलय बुलाया है 
प्राकृतिक सौन्दर्य पर हमने दाग लगाया है |

भारतवासी पवन गंगा जिससे बुलाते हैं 
पापतारने हेतु इसी गंगा में डुबकी लगाते हैं
भूल गए पावन गंगा ,हम भूल गये कहानी को
अपवित्र करडाला गंगा लाकर गंदे पानी को
खुद की खुशियाँ नहीं सोहाती जीवों का तो ख्याल करो
याद रखो प्यारे खग को ,जलचर का तो ख्याल करो 
इस हँसते गाते जीवन में हमने आग लगाया है 
प्राकृतिक सौन्दर्य पर हमने दाग लगाया है |

पढ़िए और जानते रहिये क्या क्या दूषित कर डाला 
'महर्षि 'तो यही जानता  जीवन को नर्क बना डाला 
अबभी सुधार हो सकता है कुछ नए क्रियाकलापों से
मुक्ति मिल सकती है हमको इन दूषित संतापों से
हमको मोटर-कार छोड़कर साईकिल को अपनाना है
नदियों में प्रेषित दूषित जल का शोधन करवाना है 
रोगमुक्त जीवन के लिये शुद्ध उदक को पीना है 
रोककटाई वन की हमको खुली हवा में जीना है 
मैंने प्राकृतिक पीड़ा को एक आवाज़ बनाया है 
प्राकृतिक सौन्दर्य पर हमने दाग लगाया है ||


तारीख: 30.06.2017                                    महर्षि त्रिपाठी









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