प्रिय सुशांत

आखिर भीतर से क्यों था अशांत,
हम सबका प्रिय सुशांत।

जिंदगी इम्तिहान लेती है,
ये तो हम सभी जानते हैं।
कभी खुशी कभी ग़म का ताना-बाना
ये भी भली भांति मानते हैं।

तो आखिर क्यों ना समझ पाया वो,
जिंदगी के मायनों को,
झूल गया दो गज की रस्सी पर
और ज़िंदगी से ही हार गया वो।

गिरना और गिर के उठना
यही तो जिंदगानी है।
तो क्यों ना खड़ा हुआ वो,
जिसने सिखाया हमें,
"आत्महत्या कोई उपाय नहीं"
तो आखिर क्यों मौत के आगे
घुटने टेक गया वो।

उसकीे जिंदगी के तराजू पर
भावनाएं हावी हो गई।
तभी खुशियों के नवनीत आयामों को भूलाकर,
"डिप्रेशन" में कहीं खो गया वो।
चेतना की बात करने वाला,
सबको व्यथित कर गया वो।
बालीवुड का सितारा,
आसमां का इक तारा बन गया वो।
हम सबका प्रिय सुशांत।


तारीख: 04.04.2024                                    मानसी शर्मा









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है